खाद्यान्न प्राप्त करना व्यक्ति का कानूनी अधिकार
राज्य खाद्य आयोग ने पीडीएस, एमडीएम एवं खाद्य सुरक्षा पर की विस्तृत चर्चा
मण्डला। गोंडवाना समय।योजना भवन में आयोजित राज्य खाद्य आयोग की बैठक में आयोग के अध्यक्ष राजकिशोर स्वाई ने खाद्य सुरक्षा के लिए किए गए शासन स्तर के प्रावधानोें एवं कानूनों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बैठक में सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मध्यान्ह भोजन, खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 तथा प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना के तहत दिये जाने वाले खाद्यान्न लाभों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न प्राप्त करना व्यक्ति का कानूनी अधिकार है और इसे जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है। श्री स्वाई ने बताया कि 2013 में लागू खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत अब कोई भी व्यक्ति अपने लिए खाद्यान्न की कानूनी रूप से मांग कर सकता है। ऐसा नहीं होने पर व्यक्ति न्यायालय की शरण में जा सकता है। उन्होंने खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के बारे में बताते हुए कहा कि खाद्य सुरक्षा की अवधारणा को और बेहतर करने के लिए शीघ्र ही राज्य सरकार नये प्रावधानों को लागू करेगी। इन नए प्रावधानों के तहत यदि किसी पात्र व्यक्ति को खाद्यान्न उपलब्ध नहीं होता तब वे डेढ गुना तक खाद्य सुरक्षा भत्ता पाने के लिए पात्र होंगे। राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर चर्चा करते हुए बताया कि इस प्रणाली के अंतर्गत 23 प्रकार की पात्रता श्रेणी शासन स्तर से निर्धारित हैं। इस श्रेणी में ड्राईवर, एचआईव्ही पीड़ित, बीड़ी मजदूर, शहरी कामकाजी महिलायें तथा राज्य शासन की विभिन्न योजना में पंजीकृत व्यक्ति भी शामिल है। उन्होंने पीडीएस के तहत मिलने वाली सब्सिडी का लाभ जरूरतमंदों तक सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। पूरक पोषण आहार के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण के साथ-साथ पूरक पोषण आहार भी समय पर एवं गुणवत्ता के साथ मिले। गर्भवती महिलाआें के लिए आवश्यक होने पर पूरक पोषण आहार की पहुंच उनके घर तक सुनिश्चित किया जाये। चर्चा के दौरान उन्होंने मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता के बारे में विशेष रूप से दिशा-निर्देश दिये साथ ही गर्भवती महिलाओं के लिए केन्द्र शासन की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना के तहत मिलने वाली आर्थिक एवं पोषण सहायता की जानकारी भी दी।