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सदभावना की दौड़ में अब कोई पीछे ना रहे

सदभावना की दौड़ में अब कोई पीछे ना रहे

17 फरवरी को होगा कवि सम्मेलन

सिवनी। गोंडवाना समय। 
सुभद्रा कुमारी चौहान स्मृती में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला अखिल भारतीय कवि सम्मेलन इस वर्ष 17 फरवरी दिन रविवार को रात्रि 8 बजे से गांधी चौक शुक्रवारी में आयोजित होगा। इसी तारतम्य में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। मंच के अध्यक्ष मोहन सिंह चंदेल ने जानकारी देते हुये बताया कि सुभद्रा जी की पुण्यतिथी 15 फरवरी को श्रृद्धांजली कार्यक्रम कलबोड़ी स्थित स्मारक में होगा एवं कवि सम्मेलन 17 फरवरी को आयोजित है इसमें देश के ख्याति प्राप्त साहित्यकार अपनी काव्य रचना का पाठ करेंगे। आयोजित कवि गोष्ठी में सिराज कुरैशी ने कार्यक्रम का संचालन किया कार्यक्रम के प्रारंभ में संजय जैन संजू द्वारा अपनी कविता निरापत है जीना अकेला दुनिया में यारो निभाना भी मुश्किल है, रिश्तों को यहां यारो, कोई तस्वीर आती है चली जाती है गुमसुम सी अकेला तन्हा तन्हा सा यही मैं सोचता यारो, शहनवाज कुरैशी ने कहा दिवाना तेरा यूं तो खताकार बहुत है रहमत का तेरा फिर भी तलबगार बहुत है। नरेन्द्र नाथ चट्टान ने कहा हमे ऐसा देश बनाना है हमे दुनिया को दिखाना है, पूनाराम कुल्हाडे ने कहा सदभावना की दौड़ में अब कोई पीछे ना रहे, रोकने वालों का जिस्म अब छलनी होना चाहिए, विरेन्द तिवारी ने कहा आज भी भूख है प्यास है पसीना है गली गली में बैठे जयचंद क्या गोरों से कम है। राष्ट्रपति पुरूस्कार शिक्षक जवाहरलाल राय ने कहा माँ-बहन, बेटी व पत्नी रूप में तेरे उपकार पुरूषों पर अनेकों इसलिये भारत ने देवी मान पूजा शक्ति लक्ष्मी शारदा के रूप में राम भवन सिंह ठाकुर ने कहा या अनुरागी आयु की गति ना समझे कोय ज्यों-ज्यों केश श्वेत होय, त्यो, मुख कज्जल होय, सुखराम डहेरिया ने कहा यूं तो जीने के लिये हर लोग जिया करते है लाभ जीवन का वो फिर नही लिया करते है, घूरसिंह चिंरोजे ने कहा मधुर मधुर मधुबूंद है पर ही मानो मृदुल मलय चली मारूत अवनि में।

मैं चल नही सकता जिधर दुनिया चलाती है

एडव्होकेट अखिलेश यादव ने कहा सतयुग और कलयुग में क्या अंतर नजर आता है, सतयुग में देव देव सा और दानव विशालकाय भयावह नजर आता है, अखिलेश सिंह श्रीवास्तव ने कहा उधर मैं चल नही सकता जिधर दुनिया चलाती है वहां से लौट आता हूं जहां धारा बहाती है, सूफी रियाज मो.निदा ने कहा प्यास का दरिया जो भी हुआ ठीक हुआ खुश्क आंखो ने कहा जो भी हुआ ठीक हुआ, नसीम असर ने कहा कि ख्वाब पलकों की उनकी उतर जाने दों, मत जगाओ अभी सब गुजर जाने दो, अरूण चौरसिया ने कहा बनाया जो घंरौदा वह टूट रहा है, अपना था जो कुछ वो छूट रहा है। अ.कलाम अंसारी ने कहा हर इंसान को ये देना है पैगाम, ना हो भाईचारा छाया जाये मुदान, इस अवसर पर सफी सिंकदर द्वारा बेहतरीन गजल की प्रस्तुती दी गई।  कार्यक्रम के अंत में मोहन चंदेल एवं संजय जैन द्वारा आभार व्यक्त किया गया। इस अवसर पर देवेन्द्र सरवैया, जीवन सनोउिया,गोपाल काकोड़िया, धनजंय सिंह, हुकुमचंद सनोडिया, मिर्जा फैजल बैग सहित अताउर्रमान एवं अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे। 

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