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तभी तो परमपिता परमात्मा को सब का मालिक एक कहा जाता है

तभी तो परमपिता परमात्मा को सब का मालिक एक कहा जाता है 

सिवनी। गोंडवाना समय। 
श्री शंकर मढ़िया सिवनी व्दारा आयोजित एवं योग शक्ति गीता दीदी के सानिध्य में चल रहे श्रीमद् भगवत गीता पर आधारित सप्त दिवसीय ज्ञानयज्ञ के तीसरे दिन विशेष रूप से श्री गोपाल खाण्डेल अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, श्री नवनीत पाण्डे मुख्य नगर पालिका अधिकारी एवं पेंच सरला प्रोजेक्ट के एम डी शिव पानीगिरे आरती में उपस्थित रह पूजन अर्जन किया गया। योग शक्ति गीती दीदी जी ने अपने प्रवचन में बताया कि जब कभी किसी भी व्यािक्त से पूछो कि भगवान कौन है ? तो पता चलता है कि जितने लोग है, उतनी मूड है,  बातें भी उतनी है ।  हमारा दिल-दिमाग कहता है कि क्यों न सभी धर्म के धर्मावलम्बी से या महात्मा, साधू, संतो, मौलवी, सूफी से पूछा जाये तो वे सभी कहते है कि सब का मालिक एक है ? पर वह है कौन ? तो कहते है ऊपर वाला है, परन्तु ऊपर वाला कौन है ? तो कहते है कि वह नाम-रूप से न्यारा है ।
   
सभी धर्म के हिसाब से परमात्मा कौन होना चाहिए । जो सर्व धर्म मान्य हो, वही परमात्मा,  अल्लाह, भगवान है ।  अब इस्लाम धर्म के अनुसार परमात्मा  या खुदा व भगवान को नूर ए इलाही कहते है ।  नूर माना ज्योति, प्रकाश, ।  इस्लाम  के अनुसार किसी भी शरीरधारी को परमात्मा मानना बहुत बड़ा पाप है ।  क्राईस्ट के अनुसार परमात्मा को गॉड ईज लाईट कहते है ।  अर्थात परमात्मा ज्योति स्वरूप, प्रेम स्वरूप है। गुरू नानकदेव जी ने एक ओंकार, निराकार कहते है अर्थात परमात्मा निराकार है ।  सिक्ख धर्म में परमात्मा को प्रकाश कहते है। इसलिए सिक्ख धर्म में प्रकाश पर्व मनाते है ।  सांई बाबा ने परमात्मा को सबका मालिक एक कहा है ।  आदिवासी भाइयों में भी बड़ा देव या बुढ़ादेव  कहते है ।  गीता के अनुसार परमात्मा (भगवान) कौन है तो गीता के भगवान ने अर्जुन को कहा कि मैं ज्योति स्वरूप हूॅ, प्रकाश स्वरूप हूॅ  निराकार हॅू, । ब्रह्माकुमारी के अनुसार परमात्मा निराकार है,अशरीरी हैं,अजन्मा है, अभोक्ता, अकर्ता है ज्योति स्वरुप है, प्रकाश स्वरूप है । जन्म मरण से परे  है । ज्ञान, पवित्रता, सुख-शान्ति, पे्रम, आनन्द और शक्ति का सागर है।
  इस प्रकार सभी धर्म के अनुसार परम पिता परमात्मा शिव निराकार है ज्योति स्वरूप, प्रकाशस्वरूप  सृष्टि का सृजनहार है परमात्मा नाम रूप से न्यारा नही है, उनका नाम शिव है । रूप में बिन्दु है, परमधाम का रहने वाला है ।  इसीलिए भक्ति में गीत गाते है कि पारब्रहम परमेंश्वर ।  प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्व विघ्यालय में परमपिता  परमात्मा  की विस्तृत ज्ञान दी जाती है । यहॉ पर कोई व्यक्ति, कोई भी धर्मावलम्बी आ सकते है ।
  आगे योग शक्ति  गीता दीदी  ने कहा कि संगठन की शक्ति सीखना  है तो मुस्लिम धर्म से सीखो । प्रेम करना सीखना है तो क्रिश्चन धर्म से सीखो। अहिंसा का पाठ सीखना है तो जैन धर्म से सीखो। शान्ति का पाठ सीखना है तो बौघ्द धर्म से सीखो परन्तु  उन सभी के अलावा परम ज्ञान सीखना है तो परमपिता शिव निराकार, कल्याणकारी से सीखना है तो ब्रहमाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से सीखो ।
योग शक्ति गीता दीदी जी ने कहा है कि परमपिता परमात्मा सभी धर्मो का बीज निराकार शिव है । उस परमपिता परमात्मा निराकार शिव बीज से ही श्री कृष्ण निकलते हैं । इस्लाम धर्म, बौघ्द धर्म, क्रिश्चन धर्म आदि भी निकलता है । तभी तो परमपिता परमात्मा को सब का मालिक एक कहा जाता है । वैसे गीता दीदी जी ने परमात्मा के संबन्ध में एवं सभी धर्मो के अनुसार विस्तृत व्याख्या कर अपने प्रवचन में विभिन्न उदाहारण देकर स्पष्ट किया जो कि सराहनीय है । शिव लिंग एक प्रतिकात्मक चिह्न है । शिव पर तीन रेखाएॅ  खींचना, बीच में तिलक लगाना, अक का फूल, बेल पत्र, दूध, इत्यादि  अर्पण  करना आदि का सारगर्भित आध्यात्मिक रहस्य अपने प्रवचन में स्पष्ट किया । विशेष अतिथियों द्वारा आदरणीय दीदी जी का पुष्प गुच्छ से अभिनंदन किया गया । वहीं दीदी जी द्वारा सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया एवं श्री शंकर मढ़िया समिति सिवनी के अध्यक्ष संजय बघेल एवं गोविंद गुप्ता, रामजीलाल अग्रवाल, हरि प्रसाद अग्रवाल, दिलीप बघेल, सुनील बघेल, दुर्गाप्रसाद अग्रवाल द्वारा शाल भेंट कर सम्मान किया गया।

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