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पातालकोट बेस कैंप रातेड़ की जमीन के मामले की जनजाति आयोग करेगा जांच

पातालकोट बेस कैंप रातेड़ की जमीन के मामले की जनजाति आयोग करेगा जांच  

राष्ट्रीय जनजाति आयोग उपाध्यक्ष सुश्री उइके ने किया पातालकोट का दौरा 

तामिया/छिंदवाडा। गोंडवाना समय।
पातालकोट के रातेड बेस कैंप को युरेका कंपनी को लीज पर देने और भारिया आदिवासियों की जमीन के मामले को लेकर शनिवार को राष्ट्रीय जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष सुश्री अनुसुइया उईके पातालकोट के रातेड़ पहुंची उन्होने स्थानीय भारिया जनजातियों से चर्चा किया । पातालकोट दौरे के दौरान सुश्री अनुसुइया उइके ने कंपनी के प्रबंधक भंडारी से अनुबंध सबंधी दस्तावेजो का जायजा लेकर नायब तहसीलदार सहित राजस्व अमले से चर्चा किया । बीते वर्ष छिंदवाड़ा जिले के जनजाति बाहुल्य विकासखंड तामिया में स्थित 12 ग्रामों के समूह पातालकोट मे रातेड बेस कैम्प सहित ऊपरी इलाका लीज पर देने का मामला सुर्खियो में है ।
रातेड बेस कैम्प मे दिल्ली की यूरेका कंपनी पर्यटन स्थल विकास के लिये लीज के बाद निर्माण कार्य करा रही है बीजाढाना की जिस 7.216 हेक्टेयर भूमि को यूरेका कैंपआउट्स प्राइवेट लिमिटेड को लीज पर दिया गया है । राष्ट्रीय जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष सुश्री अनसुइया उइके ने बताया कि स्थानीय राजस्व विभाग के पास इस मामले की कोई खास जानकारी नही है । जनजातियों की भूमि अधिग्रहण के लिये उद्देश्य होता है वहीं जनजाति स्वामित्व की भूमि को अधिग्रहित करने की प्रक्रिया है । जिला प्रशासन द्वारा जनजातियों की भूमि लेकर पर्यटन निगम को देने और फिर निगम द्वारा निजी कंपनी को लीज पर दिये जाने के मामले की जनजाति आयोग जांच करेगा । इस पूरे मामले में जनजाति  आयोग किसानो के हित मे प्राथमिकता के आधार पर कार्यवाही करेगा । प्रशासनिक जानकारो की माने तो राज्य शासन से जुड़े इस मामले में पर्यटन विकास निगम ने पातालकोट के ऊपरी हिस्से की जमीन को एक निजी कंपनी को लीज पर दिया है। तामिया से 17 किमी दूर पातालकोट का का रातेड़ बेस कैम्प इन दिनो चर्चाओ में है ।

7 भारिया जनजाति परिवार के नाम पर थी जमीन  

दिल्ली की युरेका कंपनी को यह क्षेत्र लीज पर देने के बाद यह इलाका चर्चाओं में आ गया है । जनजातियों की जमीन को लेकर, अमरवाड़ा पूर्व विधायक मनमोहन शाह बट्टी, कांग्रेस विधायक कमलेश शाह एवं मनावर विधायक डॉ हीरालाल अलावा ने पहले ही इस मामले में अपना विरोध जता चुके है । वही राज्य के पर्यटन मंत्री सुरेन्द्र सिंह बघेल ने भी 14 फरवरी को यहां का दौरा किया था । यूरेका कंपनी द्वारा बीजाढाना के बाद फेंसिंग लगा देने से मामला और गर्मा गया है । छिंदी रोड से दो किमी बायें हाथ की ओर दो किमी की दूरी पर स्थित बीजाढाना के आगे बेस कैंप रातेड़ का मैदान है । इसके नीचे कारेयाम रातेड़ ग्राम बसे हुये है जहा से संरक्षित जनजाति भारिया वर्ग के लोग यहां से चढ़ाई करके आस-पास के क्षेत्रों में पहुंचते है । कंपनी के द्वारा फेंसिंग लगाने से सड़क तो बंद होने से विवाद और गहरा गया है । रातेड़ ग्राम के ऊपरी मैदान का यह इलाका पहले वर्ष 2009 तक सात भारिया जनजातियों जिनमें झमीलाल, इंदरशा, गोविंद, मंदर, गोरखशा, गोरखलाल और अन्य के नाम थी। नियमानुसार जनजातियों से जमीन को क्रय-विक्रय सीधे नहीं हो सकता है । सरकार ने पर्यटन विकास के लिए इसे अधिगृहीत किया था । जनजाति आयोग की उपाध्यक्षा सुश्री अनुसुइया उईके ने इस मामले को लेकर अधिकारियो को निर्देश दिये। इस मौके पर जनजाति आयोग क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल की सहायक निदेशक दीपिका खन्ना, नायब तहसीलदार रत्नेश ठवरे, सीईओ शैलेंद्र सिंह यादव, पटवारी सहित अन्य मौजूद रहे।

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