Type Here to Get Search Results !

मन चंगा तो कठौती में गंगा मन की बात में बोले पीएम मोदी

मन चंगा तो कठौती में गंगा
मन की बात में बोले पीएम मोदी 

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार।इस महीने की 21 तारीख को देश को एक गहरे शोक का समाचार मिला। कर्नाटक में टुमकुर जिले के श्री सिद्धगंगा मठ के डॉक्टर श्री श्री श्री शिवकुमार स्वामी जी हमारे बीच नहीं रहे।शिवकुमार स्वामी जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज-सेवा में समर्पित कर दिया।भगवान बसवेश्वर ने हमें सिखाया है झ्र ह्यकायकवे कैलासह्ण झ्र अर्थात् कठिन परिश्रम करते हुए अपना दायित्व निभाते जाना, भगवान शिव के निवास-स्थान, कैलाश धाम में होने के समान है। शिवकुमार स्वामी जी इसी दर्शन के अनुयायी थे और उन्होंने अपने 111 वर्षों के जीवन काल में हजारों लोगों के सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक उत्थान के लिए कार्य किया।उनकी ख्याति एक ऐसे विद्वान के रूप में थी, जिनकी अंग्रेजी, संस्कृत और कन्नड़ भाषाओं पर अद्भुत पकड़ थी। वह एक समाज सुधारक थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन इस बात में लगा दिया कि लोगों को भोजन, आश्रय, शिक्षा और आध्यात्मिक ज्ञान मिले।किसानों का हर तरह से कल्याण हो, ये स्वामी जी के जीवन में प्राथमिकता रहती थी। सिद्धगंगा मठ नियमित रूप से पशु और कृषि मेलों का आयोजन करता था।मुझे कई बार परम पूज्य स्वामी जी का आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है।वर्ष 2007 में, श्री श्री श्री शिवकुमार स्वामी जी के शताब्दी वर्ष उत्सव समारोह के अवसर पर हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ० ए.पी.जे. अब्दुल कलाम टुमकुर गए थे। कलाम साहब ने इस मौके पर पूज्य स्वामी जी के लिए एक कविता सुनाई थी।  26 जनवरी 1950 को हमारे देश में संविधान लागू हुआ और उस दिन हमारा देश गणतंत्र बना और कल ही हमने आन-बान-शान के साथ गणतंत्र दिवस भी मनाया लेकिन मैं, आज कुछ और बात करना चाहता हूँ। हमारे देश में एक बहुत ही महत्वपूर्ण संस्था है, जो हमारे लोकतंत्र का तो अभिन्न अंग है ही और हमारे गणतंत्र से भी पुरानी है - मैं भारत के चुनाव आयोग के बारे में बात कर रहा हूँ। 25 जनवरी को चुनाव आयोग का स्थापना दिवस था, जिसे  राष्ट्रीय मतदाता दिवस,मनाया जाता है। भारत की इस महान धरती ने कई सारे महापुरुषों को जन्म दिया है और उन महापुरुषों ने मानवता के लिए कुछ अद्भुत, अविस्मरणीय कार्य किये हैं। हमारा देश बहुरत्ना-वसुंधरा है।ऐसे महापुरुषों में से एक थे - नेताजी सुभाष चन्द्र बोस। 23 जनवरी को पूरे देश ने एक अलग अंदाज में उनकी जन्म जयन्ती मनाई। नेताजी की जन्म जयन्ती पर मुझे भारत की आजादी के संघर्ष में अपना योगदान देने वाले वीरों को समर्पित एक े४२ी४े  संग्रहालय का उद्घाटन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।मुझे खुशी है कि भारत के महान नायकों से जुड़े कई स्थानों को दिल्ली में विकसित करने का प्रयास हुआ है। चाहे वो बाबा साहेब आंबेडकर से जुड़ा 26, अलीपुर रोड हो या फिर सरदार पटेल संग्रहालय हो या वो क्रांति मंदिर हो।अगर आप दिल्ली आएँ तो इन स्थानों को जरूर देखने जाए।संग्रहालय में अमृता शेरगिल, राजा रवि वर्मा, अवनींद्र नाथ टैगोर, गगनेंद्र नाथ टैगोर, नंदलाल बोस, जामिनी राय, सैलोज मुखर्जी जैसे महान कलाकारों के उत्कृष्ट कार्यों का बखूबी प्रदर्शन किया गया है।और मैं आप सबसे विशेष रूप से आग्रह करूँगा कि आप वहां जाएँ और गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर जी के कार्यों को अवश्य देखें।

जाति-जाति में जाति है, जो केतन के पात, रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात

जिस प्रकार केले के तने को छिला जाए तो पत्ते के नीचे पत्ता फिर पत्ते के नीचे पत्ता और अंत में कुछ नही निकलता है, लेकिन पूरा पेड़ खत्म हो जाता है, ठीक उसी प्रकार इंसान को भी जातियों में बाँट दिया गया है और इंसान रहा ही नहीं है।वे कहा करते थे कि अगर वास्तव में भगवान हर इंसान में होते हैं, तो उन्हें जाति, पंथ और अन्य सामाजिक आधारों पर बांटना उचित नहीं है। गुरु रविदास जी का जन्म वाराणसी की पवित्र भूमि पर हुआ था। संत रविदास जी ने अपने संदेशों के माध्यम से अपने पूरे जीवनकाल में श्रम और श्रमिक की अहमियत को समझाने का प्रयास किया। ये कहा जाए तो गलत नहीं होगा कि उन्होंने दुनिया को श्रम की प्रतिष्ठा का वास्तविक अर्थ समझाया है। वो कहते थे मन चंगा तो कठौती में गंगा अर्थात यदि आपका मन और ह्रदय पवित्र है तो साक्षात ईश्वर आपके ह्रदय में निवास करते हैं।संत रविदास जी के संदेशों ने हर तबके, हर वर्ग के लोगों को प्रभावित किया है। चाहे चित्तौड़ के महाराजा और रानी हों या फिर मीराबाई हों, सभी उनके अनुयायी थे। मैं एक बार फिर संत रविदास जी को नमन करता हूँ।

हमारा देश, स्पेस टेक्नोलॉजी का उपयोग जानमाल की रक्षा में भी बखूबी कर रहा है

चाहे साइक्लोन हो, या फिर रेल और सड़क सुरक्षा, इन सब में स्पेस टेक्नोलॉजी से काफी सहायता मिल रही है।23 राज्यों के करीब 40 लाख घरों को जिओ-टैग किया गया है। इसके साथ ही मनरेगा के तहत करीब साढ़े तीन करोड़ संपत्तियों को भी जिओ-टैग किया गया।हमारे सैटेलाइट्स आज देश की बढ़ती शक्ति का प्रतीक हैं। दुनिया के कई देशों के साथ हमारे बेहतर संबंध में इसका बड़ा योगदान है। साउथ एशिया सैटेलाइटस तो एक अनूठी पहल रही है, जिसने हमारे पड़ोसी मित्र राष्ट्रों को भी विकास का उपहार दिया है।भारत आज न केवल विकासशील देशों के, बल्कि विकसित देशों के सैटेलाइटस को भी करता है। मेरे प्यारे देशवासियों,मै हमेशा कहता हूँ, जो खेले वो खिले और  इस बार के खेलो इंडिया मेंढ़ेर सारे तरुण और युवाखिलाड़ी खिल के सामने आए हैं।जनवरी महीने में पुणे में खेलो इंडिया यूथ गेम्स में 18 गेम्स में करीब 6,000 खिलाड़ियों ने भाग लिया।साथियों, 2 अक्टूबर, 2014 को हमने अपने देश को स्वच्छ बनाने और खुले में शौच से मुक्त करने के लिए एक साथ मिलकर एक चिर-स्मरणीय यात्रा शुरू की थी।भारत के जन-जन के सहयोग से आज भारत 2 अक्टूबर, 2019 से काफी पहले ही खुले में शौच मुक्त होने की ओर अग्रसर है जिससे कि बापू को उनकी 150वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलिदी जा सके।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.