इस प्रकार निर्वाचन में खर्च होने वाले भारी व्यय से भी देश को बचाया जा सकता है
5 वी अनुसूची और निर्वाचन प्रणाली-एक अवलोकन
जनजातीय समुदाय बाहुल्य क्षेत्र के विशेष संदर्भ में आत्मावलोकन करें तो सौभाग्य की बात हैं कि हम सभी इंडियन संविधान के 5 वी अनुसूची में दिये हुए अधिकार युक्त क्षेत्र में रहते हैं, और दुर्भाग्य की बात यह हैं कि जनजातीय वर्ग इस बात का बिल्कुल भी फायदा नहीं ले पा रहें हैं। हम सभी इंडिया के ट्राइबल्स हैं, हम सभी इंडिया के इंडीजीनस (स्वदेशी, देशज) लोग हैं। आज प्रकृति, इंडियन संविधान, संयुक्त राष्ट्र संघ एवं अन्य अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के प्रावधानों ने हमें शानदार सुखद सामाजिक जीवन जीने का मौका दिया हैं व अपने सांस्कृतिक वैभव की मौलिकता को बनाए रखने का अधिकार दिया हैं। संविधानके नौवें भाग, भाग IX (क) के अनुच्छेद 243 (यघ) के अनुसार जिला योजना समिति के संबंध में ग्राम सभा के अनुसार योजना का प्रस्ताव रखने का प्रावधान हैं, और जहाँ पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में पंचायत के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम,1996 (PESA- Panchayats Extension to Scheduled Areas Act 1996) लागू हैं, व अनुच्छेद 244 (1) के तहत जनजाति प्रशासन एवं नियंत्रण से युक्त अनुसूचित क्षेत्रों के ग्रामों व जनजाति समुदायों को जो शक्तियां प्राप्त हैं। जिन अनुसूचित क्षेत्रों में प्रत्यक्ष निर्वाचन नहीं होना चाहिए, क्योंकि वहाँ पहले से रूढ़ी परम्परा संबंधी व्यवस्था के अंतर्गत मुकद्दम व्यवस्था लागू हैं यहाँ मुकद्दम शब्द का संबंध क्षेत्र व व्यवस्था बहुत ही विस्तृत व गूढ़ हैं। संविधान के अनुच्छेद 244(1) के अंतर्गत अधिसूचित पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों का विस्तार वर्तमान में, 10 राज्यों अर्थात आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना में हैं।