Type Here to Get Search Results !

क्या कलेक्टर का नाम बदलवा पायेंगे कमलनाथ ?

क्या कलेक्टर का नाम बदलवा पायेंगे कमलनाथ ?

सिवनी। गोंडवाना समय। कमलनाथ ने मतदान होने के पश्चात परिणाम आने के पहले ही मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की बड़ी जीत के दावे के साथ ही उन्होंने कांग्रेस की सरकार बनने के बाद किए जाने वाले अहम फैसले का भी जिक्र किया था । वहीं राहूल गांधी ने प्रचार प्रसार के दौरान 10 दिनों के अंदर किसानों का कर्ज माफ करने की बात कहा था जिसको कांग्रेस की सरकार व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पूरा करने का प्रयास शपथ लेने के पहले ही करना प्रारंभ कर दिया है । हम आपको बता दे कि कमलनाथ यह भी कहा था कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अंग्रेजों के दिए प्रशासनिक नामों को बदलेंगे। भोपाल में उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा था कि 11 नवंबर को मध्य प्रदेश में कांग्रेस इतिहास लिखने जा रही है और कांग्रेस पार्टी 140 सीट पर विजयी होगी वहीं उन्होंने यह भी कहा था कि एक्जिट पोल वालों ने बताया है कि आप जीत रहे हैं। इसके साथ ही यह भी कहा था कि गुजराज और कर्नाटक असेम्बली इलेक्शन में पार्टी से कुछ गलतियां हुईं। अब उन्हीं गलतियों से सीखते हुए मध्य प्रदेश के चुनाव में नई रणनीति बनाकर अमल किया गया है लेकिन जब परिणाम आये तो कांग्रेस को 114 सीट ही मिल पाई । कमलनाथ ने मध्य प्रदेश में बड़ी जीत के दावे के साथ ही उन्होंने सरकार बनने के बाद किए जाने वाले अहम फैसले का भी जिक्र किया था जिसमें उन्होंने का कहा था कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अंग्रेजों के दिए प्रशासनिक नामों को बदलेंगे। उन्होंने कहा था कि सत्ता में आते ही व्यवस्था में बदलाव के तहत कलेक्टर नाम भी बदला जाएगा क्योंकि यह नाम अंग्रेजों ने दिया था। इनका काम कलेक्शन करना था, कलेक्शन करने के कारण कलेक्टर कहलाए जाने लगे। कमलनाथ ने कहा कि कलेक्टरों से ही इस पद नाम को बदलकर नया नाम रखने के लिए उनकी सलाह लूंगा।
अब मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई है और उक्त बातों का बयान देने वाले कमलनाथ भी मुख्यमंत्री बन गये वे 17 दिसंबर को शपथ भी लेने वाले है । कांग्रेस ने चुनाव के पहले वचन पत्र जारी किया था उसमें जो वचन थे उन्हें पूरा करने का इंतजार मतदाता व जनता कांग्रेस सरकार की ओर आशा भरी निगाहों से देखने लगी है । कांग्रेस वचन पत्रों में शामिल कौन कौन से वचन को पूरा करने का प्रयास किस तरह करती है यह भी आने वाले सामने दिखाई देने लगेगा । हम बात करें कमलनाथ के कलेक्टर का नाम बदलने वाले बयान की तो अब कमलनाथ मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद कितने दिनों में कलेक्टर का नाम बदलने की कवायद करते है यह देखना होगा क्योंकि कलेक्टर का नाम बदलने की सलाह भी कमलनाथ आईएएस अफसरों से ही लेंगे और ये आईएएस अफसर कलेक्टर के स्थान पर कौन सा नाम मुख्यमंंत्री कमलनाथ को सुझाव स्वरूप देंगे इसका भी इंतजार मध्य प्रदेश की जनता को है क्योंकि कलेक्टर ऐसा कार्यालय है जहां पर सभी का वास्ता कहीं न कहीं और किसी न किसी रूप में पड़ता है ।

अंग्रेजी हुकुमत में भू राजस्व की वसूली का था काम

हम आपको बता दे कि जिलाधिकारी भारतीय प्रशासनिक सेवा का एक प्रमुख प्रशासनिक पद है। जिसे अंग्रेजी में डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर या फिर सिर्फ कलेक्टर के नाम से भी जाना जाता है । भारत के प्रत्येक जिले का एक अपना उपायुक्त होता है। आजादी के पहले अंग्रेज शासन के दौरान वर्ष 1772 में लोर्ड वॉरेन हेस्टिंग द्वारा बुनियादी रूप से नागरिक प्रशासन और 'भू राजस्व की वसूली' के लिए गठित 'जिलाधिकारी' का पद, अब राज्य के लोक-प्रशासन के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पदों में प्रमुख स्थान रखता है।  'जिलाधीश' और 'कलेक्टर' के रूप में जिले में राज्य सरकार का सर्वोच्च अधिकार संपन्न प्रतिनिधि या प्रथम लोक-सेवक होता है। जो मुख्य जिला विकास अधिकारी के रूप में सारे प्रमुख सरकारी विभागों-पंचायत एवं ग्रामीण विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, आयुर्वेद, अल्पसंख्यक कल्याण, कृषि, भू-संरक्षण, शिक्षा, महिला अधिकारता, ऊर्जा, उद्योग, श्रम कल्याण, खनन, खेलकूद, पशुपालन, सहकारिता, परिवहन एवं यातायात, समाज कल्याण, सिंचाई, सार्वजनिक निर्माण विभाग, स्थानीय प्रशासन आदि के सारे कार्यक्रमों और नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन करवाने के लिए अपने जिले के लिए अकेले उत्तरदायी होता है। वह जिला मजिस्ट्रेट के रूप में पुलिस अधीक्षक के साथ प्रमुखत: जिले की संपूर्ण कानून-व्यवस्था का प्रभारी होता है और सभी तरह के चुनावों का मुख्य प्रबंधक भी। साथ ही वह जनगणना-आयोजक, प्राकृतिक-आपदा प्रबंधक, भू-राजस्व-वसूलीकर्ता, भूअभिलेख-संधारक, नागरिक खाद्य व रसद आपूर्ति-व्यस्थापक, ई-गतिविधि नियंत्रक, जनसमस्या-विवारणकर्ता, भी है।

नाम से ज्यादा जनता के प्रति व्यवहार बदलना जरूरी

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद यदि कमलनाथ ने कलेक्टर साहब का नाम बदल भी दिया तो क्या वे कलेक्टर साहब रूतबा कहो या व्यवहार बदल पायेंगे । अक्सर देखने में आता है कि बहुत ही कम जिलों के कलेक्टर ऐसे होते है जो जिले की जनता में अपनी पहचान, छाप बनाकर जनता का हमदर्द बन पाते है क्योंकि कलेक्टर साहब का रूतबा ही ऐसा होता है क्योंकि कलेक्टर साहब से हर किसी का मिलना आसान नहीं होता है उनसे मिलने के लिये समय सुनिश्चित होता है । इसके साथ ही कलेक्टर कक्ष के बाहर ही कई बार आम जनता को बैठे बैठे बिना मिले ही घंटो इंतजार करने के बाद खाली हाथ जाना होता है । मुख्यमंत्री बनने के बाद जिलाधिकारी कलेक्टर का नाम बदलने के पहले कमलनाथ को जिले की जनता के साथ सरल व्यवहार और जनता की समस्या को सबसे पहले सुनकर उनकी समस्याओं का समाधान करवाने में प्रमुख भूमिका निभाने के निर्देश दिये जाने की आवश्यकता है ।

जनसुनवाई की तरह गांव का आदमी कलेक्टर कार्यालय न आये

कांग्रेस की सरकार बनने के बाद यह बेहद जरूरी है कि ग्रामीणों की समस्या का समाधान कराने वाले आईएएस अफसर की आवश्यकता अनिवार्य है क्योंकि ग्रामीणों को कई बार 100 किलोमीटर की दूरी से भी अपनी समस्या का निबटाने के लिये जिला कलेक्टर कार्यालय आना पड़ता है क्योंकि भाजपा सरकार के समय होने वाली जनसुनवाई का रिकार्ड यदि खंगाला जाये तो पूरा जानकारी सामने आ जायेगी कि मध्य प्रदेश के प्रत्येक जिलों में ग्रामीणों ने प्रति मंगलवार को कितने रूपये सिर्फ कलेक्टर कार्यालय में आने के लिये खर्च किया है जबकि प्रत्येक कार्यालयों में जनसुनवाई की सुविधा थी लेकिन उसके बाद भी ग्रामीणों को अपनी समस्या का समाधान करवाने के लिये कलेक्टर कार्यालय में लगने वाली जनसुनवाई में प्रति मंगलवार को आना पड़ता था । इसके बाद भी जनसुनवाई में किस तरह से सुनवाई हो समस्याओं का हल होता है यह जनसुनवाई में आने वाले आवेदकों से अच्छा कोई नहीं जानता है क्योंकि जो लिख पढ़ नहीं सकता है जिसके पास मोबाईल नहीं है उसे संदेश के माध्यम से जनसुनवाई का नंबर कलेक्टर कार्यालयों में दिया जाता था अब इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनसुनवाई में कैसे समस्या का समाधान किया जाता रहा होगा । यदि कांग्रेस की सरकार और मुख्यमंत्री कमलनाथ आम जनता व ग्रामीणों को समस्याओं के समाधान के लिये राहत देना चाहते है तो ग्रामीणों को अपनी समस्या को लेकर कलेक्टर कार्यालय में अपने जूते चप्पल न घिसवाने के लिये मजबूर न होना पड़े वरन ग्रामीणों की समस्या ग्राम पंचायतों में हल हो जाये तभी वक्त है बदलाव का सच साबित हो सकता है नहीं तो सत्ता आप बदलों व्यवस्था हम बदलेंगे की राह पर चलेगी कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री कमलनाथ यह भविष्य में ही सामने आयेगा ।




Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.