चुनावी शराब ने ली जान, नेताओं को नहीं रोक पाये बांटने से दारू
सिवनी। गोंडवाना समय।कहते है कि शराब तो है ही खराब यही शराब वाद-विवाद, दुर्घटना, अशांति फैलाने, नैतिक पतन, समाजिक पतन, आर्थिक व शारीरिक नुकसान का कारणों के रूप में मानी जाती है लेकिन जब चुनाव आता है तो यही शराब नेताओं के लिये संजीवनी का काम करती है क्योंकि यही शराब बांटकर वे मतदाताओं को बहकाकर उनका मत वोट लेने के लिये जी भर कर उन्हें मुफ्त में शराब बांटते है और जब शराब के शौकिनों को फ्री में शराब मिलती है तो वे शराब का सेवन अधिक मात्रा में करते है जिससे कई बार उसका दुष्प्रभाव पड़ता है ज्यादा नशा हो जाने के कारण वे दुघर्टना का शिकार हो जाते है और उसमें या तो शारीरिक रूप से विकलांग हो जाते है या फिर मौत के मुंह में समा जाते है । हम बात कर रहे है केवलारी विधानसभा की जहां पर छपारा क्षेत्र में मतदान प्रारंभ के एक दिन पहले ही एक युवक एक्सीडेंट में मृत हो गया था । उसकी दुघर्टना के बाद स्पाट की तस्वीर सामने आई थी वह नेताओं के साथ साथ शराब को पकड़ने धकड़ने का जिम्मा संभालने वालों पर भी सवाल खड़े रही थी ।