आरक्षित सीट से चुनकर आने वाले जनप्रतिनिधि भी नहीं उठाते है अपने ही वर्ग की हक, अधिकार की आवाज
सिवनी। गोंडवाना समय।
जिले में चार विधानसभा है जिसमें लखनादौन-बरघाट दो विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित है तो सिवनी व केवलारी सामान्य सीट है हालांकि ऐसा नहीं है कि जो सामान्य सीट में उम्मीदवार मैदान में है वे अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति वर्ग के हित,अधिकार के लिये कार्य नहीं करते है ऐसा बिल्कुल नहीं है जिनकी सोच जनहित व मानवता की है वे सभी वर्गों के हक, अधिकार के लिये समान विचारधारा और अपनी नीति-नियत को समानता की नजरों से देखते हुये योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाने का कार्य करते है इसी तरह अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिये आरक्षित सीट भले ही एसटी के लिये आरक्षित होती है लेकिन उस विधानसभा में सभी वर्गों के जनसमुदाय निवास करता है जिन्हें अनुसूचित जनजाति वर्ग का विधानसभा में चुनकर आने वाला एसटी का विधायक भी सभी वर्ग को समानता की नजरों से और अच्छी नीति-नियत के साथ योजनाओं का लाभ सभी वर्गों के जनसमुदाय के जरूरतमंदों को समान रूप से प्रदान करने में अपनी मुख्य भूमिका निभाता है। अब हम बात करें चुनाव में मतदाताओं की संख्या को लेकर तो सिवनी जिले में चारों विधानसभा में अनुसूचित जनजाति वर्ग की संख्या सबसे ज्यादा है और यह परिणाम लाने में निर्णायक भूमिका निभाते है । इस आधार पर सभी राजनैतिक दलों की निगाहे अनुसूचित जनजाति वर्गों के मतदाताओं पर गड़ी रहती है इसके लिये अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिये काम कर रहे संगठनों का सहारा समर्थन लेने का प्रयास करते है और अपने पक्ष में मतदान करने के लिये आह्वान करते है। अब यदि हम करें संगठनों की तो सिवनी जिले में अनुसूचित जनजाति वर्ग के ही लगभग 25 से ऊपर संगठन काम कर रहे है जिनके पदाधिकारियों की विचारधारा अलग अलग होती है जो अपने अपने संगठनों के माध्मय से जनसमुदाय को अपने साथ जोड़कर रखते है और इन्हीं में से मतदाताओं की संख्या का निर्धारण यही संगठन करते है कि हमारे साथ इतने मतदाताओं की संख्या है इसी आधार पर सभी राजनैतिक दलों के उम्मीदवार उन्हें अपनी अपनी ओर खींचने का प्रयास करते है ।
धुव्रीकरण होकर बिखरकर-बंट जाता है एससी एसटी वर्ग का वोट
सिवनी जिले में दो एसटी आरक्षित तो दो में है बाहुल्य मतदाता
सिवनी जिले में लखनादौन-बरघाट विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित है तो वहीं सिवनी व केवलारी है तो सामान्य सीट है लेकिन यहां पर भी अनुसूचित जनजाति के वोट लगभग 50,000 हजार से अधिक की जनंसख्या में जो एकतरफा परिणाम को प्रभावित करने की क्षमता रखते है इसके साथ ही सिवनी जिले में अनुसूचित जाति के लगभग 14 से अधिक समाज वर्ग निवास करता है जिनका वोट भी चारों विधानसभा में काफी संख्या में है जो चुनाव जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । इन दो एससी एसटी का वोट के विभाजन, बिखराव, बंटवारा होने के कारण परिणाम जो आता है वह अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के हक, अधिकार के लिये जो भी राजनैतिक दल या उम्मीदवार जो मैदान में खड़ा होता है उनके पक्ष में नहीं आ पाता है और पराजय का स्वाद चखना पड़ता है इसके पीछे कारण बुद्धिजीवि तो अच्छे से जानते है परंतु पराजय में यही बुद्धिजीवि मुख्य भूमिका निभाते है इसमें कोई संदेह नहीं है क्योंकि बगरोना, बिखराव, बंटवारा में इनकी मुख्य भूमिका होती है ।
सिवनी। गोंडवाना समय।
जिले में चार विधानसभा है जिसमें लखनादौन-बरघाट दो विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित है तो सिवनी व केवलारी सामान्य सीट है हालांकि ऐसा नहीं है कि जो सामान्य सीट में उम्मीदवार मैदान में है वे अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति वर्ग के हित,अधिकार के लिये कार्य नहीं करते है ऐसा बिल्कुल नहीं है जिनकी सोच जनहित व मानवता की है वे सभी वर्गों के हक, अधिकार के लिये समान विचारधारा और अपनी नीति-नियत को समानता की नजरों से देखते हुये योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाने का कार्य करते है इसी तरह अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिये आरक्षित सीट भले ही एसटी के लिये आरक्षित होती है लेकिन उस विधानसभा में सभी वर्गों के जनसमुदाय निवास करता है जिन्हें अनुसूचित जनजाति वर्ग का विधानसभा में चुनकर आने वाला एसटी का विधायक भी सभी वर्ग को समानता की नजरों से और अच्छी नीति-नियत के साथ योजनाओं का लाभ सभी वर्गों के जनसमुदाय के जरूरतमंदों को समान रूप से प्रदान करने में अपनी मुख्य भूमिका निभाता है। अब हम बात करें चुनाव में मतदाताओं की संख्या को लेकर तो सिवनी जिले में चारों विधानसभा में अनुसूचित जनजाति वर्ग की संख्या सबसे ज्यादा है और यह परिणाम लाने में निर्णायक भूमिका निभाते है । इस आधार पर सभी राजनैतिक दलों की निगाहे अनुसूचित जनजाति वर्गों के मतदाताओं पर गड़ी रहती है इसके लिये अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिये काम कर रहे संगठनों का सहारा समर्थन लेने का प्रयास करते है और अपने पक्ष में मतदान करने के लिये आह्वान करते है। अब यदि हम करें संगठनों की तो सिवनी जिले में अनुसूचित जनजाति वर्ग के ही लगभग 25 से ऊपर संगठन काम कर रहे है जिनके पदाधिकारियों की विचारधारा अलग अलग होती है जो अपने अपने संगठनों के माध्मय से जनसमुदाय को अपने साथ जोड़कर रखते है और इन्हीं में से मतदाताओं की संख्या का निर्धारण यही संगठन करते है कि हमारे साथ इतने मतदाताओं की संख्या है इसी आधार पर सभी राजनैतिक दलों के उम्मीदवार उन्हें अपनी अपनी ओर खींचने का प्रयास करते है ।