4 से 6 दिसंबर को अंडमान और निकोबार द्वीपों का दौरा करेगा जनजाति आयोग
अमेरिकन नागरिक के मारे जाने घटना की जांच करेंगे
नई दिल्ली। गोंडवाना समय।संरक्षित जनजातियों द्वारा अमेरिकी नागरिक के मारे जाने की घटना की जांच और निगरानी के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग 4 से 6 दिसंबर, 2018 को अंडमान और निकोबार द्वीपों का दौरा करेगा । अंडमान और निकोबार द्वीपों में संरक्षित जनजातियों द्वारा एक अमेरिकी नागरिक के मारे जाने के मुद्दे पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की 108 वीं बैठक में चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता आयोग के अध्यक्ष डॉ. नंद कुमार साय ने की। आयोग ने घटना पर गृह मंत्रालय और अंडमान एवं निकोबार प्रशासन द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट की समीक्षा की। बैठक में जनजातीय कार्य मंत्रालय के अपर सचिव ने आयोग को अंडमान एंव निकोबार द्वीपों में 30 द्वीपों के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट में रियायत देने के विषय पर मंत्रालय के निर्णय की पृष्ठभूमि से अवगत कराया। उन्होंने यह भी बताया कि अंडमान एंव निकोबार द्वीपों के उप राज्यपाल ने अंडमान एंव निकोबार प्रशासन के सचिव (जनजातीय कल्याण) की अध्यक्षता में एक 5 सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो निम्नलिखित बिन्दुओं पर गौर करेगी।
उत्तर सेंटीनल द्वीप को लेकर 30 दिनोें सौपेंगे रिपोर्ट
उत्तर सेंटीनल द्वीप में विदेशी नागरिकों को जाने से रोकने के संबंध में संस्थागत प्रणाली की समीक्षा, और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उपायों को सुझाना और समिति 30 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि इस दुर्भाग्यशाली घटना के बाद उत्तर सेंटीनल द्वीप में सेंटीनल जनजातीयों के लिए खतरा बहुत बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि शव बरामद करने के लिए अगर कोई भी सख्त कदम उठाया गया, तो द्वीप की शांति पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने बताया कि आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 338ए (5ए) के तहत मामले की जांच और निगरानी करने के लिए 4 से 6 दिसंबर, 2018 को अंडमान एवं निकोबार द्वीपों का दौरा करेगा। उन्होंने कहा कि उत्तर सेंटीनल द्वीप की अनुल्लंघनीयता कायम रखने के लिए सरकार को सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए।72 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में सेंटीनेल्स जनजाति आधुनिकता से दूर अपने हाल पर है खुश
भारत के अधिकार क्षेत्र में आने वाला सेंटिनल आइलैंड एक ऐसी जगह है जहॉ आज भी इस आधुनिक जीवन में कुछ लोग ऐसे हैं जिनके पास न बिजली है, न सड़क है, न इंटरनेट, यहां तक की इनका किसी सभ्यता से कोई लेना देना भी नहीं है, वो आधुनिक दुनियॉ को जानना भी नहीं चाहते, यहां रहने वाली सेंटिनलीज जनजाति का आधुनिक मानव सभ्यता से दूर है, बहुत बार इसको आधुनिक समाज से जोड़ने का प्रयास किया गया, लेकिन इस जनजाति के लोग इतने ज्यादा आक्रामक हैं कि वे किसी को अपने पास आने ही नहीं देते ।अंडमान आइलैंड में उत्तरी सेंटिनल आइलैंड 72 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, यहां सेंटीनेल्स जनजाति रहते हैं, ये आधुनिक जीवन से बिल्कुल कटे हुए हैं, इन्हें द्वीप के ऊपर से उड़ता विमान तो क्या, यहां किसी दूसरे जगह से आए इंसानों से भी सख्त नफरत है, ये लोग अपनी सभ्यता व संस्कृति की विशेषता के लिये विशेष पहचान रखते है वहीं वे बाहरी व्यक्तियों के लिये बेहद खूंखार माने जाते हैं, इनका जनजीवन जंगल पर निर्भर करता है वे फल, मछली, जंगली सूअर, शहद, कछुओं व अन्य जलीय जीव के अंडे इनके भोजन हैं । इस द्वीप पर किसी भी पर्यटक के जाने पर पाबंदी है । हवाई तस्वीरों से यह साफ होता है कि ये जनजाति खेती नहीं करती, क्योंकि इस पूरे इलाके में अब भी घने जंगल हैं । इससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि यह जनजाति जल,जंगल, जमीन पर निर्भर है ।