राहूल गांधी ने पुर्नविचार याचिका दायर करने लिखा पत्र
Gondwana SamayMonday, February 25, 2019
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राहूल गांधी ने पुर्नविचार याचिका दायर करने लिखा पत्र
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बनाई समिति
कांग्रेस अध्यक्ष राहूल गांधी के द्वारा पत्र लिखने के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों के वन भूमि के निरस्त दावों के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के प्रकाश में आगामी कार्यवाही करने के लिये मध्य प्रदेश में समिति का गठन किया है । जिसमें बाला बच्चन गृह मंत्री, पी सी शर्मा मंत्री विधि एवं विधायी कार्य, उमंग सिंघार मंत्री वन विभाग, ओमकार सिंह मरकाम मंत्री जनजाति कार्य विभाग के साथ ही प्रमुख सचिव जनजाति कार्य विभाग इस समिति के संयोजक होंगे । यह समिति विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से चर्चा कर अपना प्रतिवेदन शीघ्र प्रस्तुत करेगी ।
नई दिल्ली। गोंडवाना समय। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अधक्ष राहुल गांधी के द्वारा पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिये पत्र लिखे जाने एवं कार्यवाही के लिये निर्देश दिये जाने पर देश के सभी आदिवासी नेताओं ने स्वागत किया है । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के द्वारा सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बीते 13 फरवरी को दिये गये आदेश जिसमें वन अधिकार अधिनियम के तहत आमान्य आवदेनों को लेकर वर्षों से निवास कर रहे लगभग साढ़े तेरह लाख से भी अधिक आदिवासियों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ सकता है। हालांकि इस मामले में केंद्र की मोदी सरकार की ओर से माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपना वकील तक नहीं खड़ा पाने और जनजाति मामालों के मंत्रालय के द्वारा अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाने के चलते यह फैसला आया है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुये कांग्रेस अध्यक्ष राहूल गांधी ने 14 फरवरी को ही ट्वीट कर आदिवासियों के हक अधिकार की लड़ाई कांग्रेस पूरी दमदारी से लड़ेगी यह एलान कर दिया था । माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये फैसले के बाद पूरे देश भर के आदिवासियों में आक्रोश व्याप्त है और न्यायालय के आदेश का खतरा मंडरा रहा है वहीं इस पर राहूल गांधी ने गंभीरता से लिये राज्य के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर आदेश दिया है कि कांग्रेस सरकार जहां पर है वहां के मुख्य मंत्रियों को कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने के निर्देश दिये है जिसका देश भर के आदिवासी नेताओं ने स्वागत किया है । कांग्रेस के आदिवासी प्रकोष्ठ के नेताओं ने कहा है कि वन अधिकार अधिनियम की आड़ में धकार पट्टों के मामले में परंपरागत रूप से जंगलों में रह रहे लोगों के मामले में मोदी सरकार ने अपने उद्योग समर्थक और गरीब विरोधी चरित्र को उजागर किया। उन्होने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मजबूत तरीके से जंगल में रहने वालों के अधिकारों के पक्ष को नही रखा और मूकदर्शक बनकर देखती रही। उन्होने कहा कि मोदी सरकार के इस मामले में अपनाए गए रवैये से स्पष्ट होता है कि वह पूरी तरीके से जंगल में रहने वालों के अधिकारों के खिलाफ है। मोदी सरकार नहीं चाहती है कि ऐतिहासिक अन्याय को खत्म करने वाले महत्वपूर्ण वन अधिकार कानून के तहत जंगल में रहने वालों के वन अधिकारो को मान्यता दी जाए और उनको न्याय मिले। इस मामले में कोर्ट में अगली पेशी में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों की परिस्थितियों को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखा जाएगा ।