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कांग्रेस के लिये है चुनौती.........

कांग्रेस के लिये है चुनौती कर्ज, भ्रष्टाचार, बेलगाम अफसरशाही, माफियाराज, पुलिसिया तुर्रा, असुरक्षित बेटिया, दलित-आदिवासियों का शोषण


सिवनी । गोंडवाना समय। 
वर्ष 2003 में सत्ता आप बदलों व्यवस्था हम बदलेंगे का नारा देकर भाजपा सत्ता में आई थी । भाजपा ने बीते पन्द्रह सालों में ऐसी व्यवस्था बदली कि जनता ने भाजपा को सत्ता से ही बेदखल कर डाला । अब फिर कांग्रेस को जनता ने 2018 में मौका दिया है और कांग्रेस ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दिया है अर्थात मध्य प्रदेश के राजा अब कमलनाथ होंगे लेकिन उनके सामने चुनौतियों अत्याधिक है इन चुनौतियों से कमलनाथ कैसे निबटेंगे यह सवाल अब उठने लगे है क्योंकि मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने लगभग 20,147 हजार करोड़ रूपये का कर्जा भाजपा को सौंपकर गई थी जिसे भाजपा ने बढ़ाकर लगभग 1,87,636.39 हजार करोड़ रूपये का कर्जा बढ़ाकर कांग्रेस को सत्ता सौंपा है अब इस कर्ज को कैसे उतारेंगे कमलनाथ इसके लिये कौन तकनीक व रणनीति अपनायेंगे । इसके साथ व्यापम, छात्रवृत्ति घोटाला सहित अन्य शिक्षा विभाग के घोटालो की जांच कैसे करायेंगे, जीरों टालरेंस वाला मध्य प्रदेश में विभागों में इस कदर भ्रष्टाचार मचा हुआ है कि हर दिन कही न कहीं कोई न कोई लोकायुक्त के चुंगल फंसता हुआ नजर आया जो प्रमाणित भ्रष्टाचार था जो चोरी छिपे कहों या खुलेआम भ्रष्टाचार की लत और आदत अधिकारियों कर्मचारियों की पड़ चुकी है उससे छुटकारा और जनता को निजात कैसे कमलनाथ दिला पायेंगे यह सबसे बड़ी चुनौती होगी । बेलगाम अफसारशाही की राधेश्याम जुलानिया जैसे आईएएस अफसरों व कलेक्टरों की लंबी चौड़ी लिस्ट को कैसे छोटी कर पायेंगे प्रशासनिक अधिकारियोंकी हठधर्मिता कैसे कम करेंगे, कलेक्टर का नाम बदलने की बात करने वाले कमलनाथ कलेक्टरों का रूतबा कैसे कम पायेंगे यह बेहद कठिन चुनौती कमलनाथ के लिये होगी । इसके साथ ही मध्य प्रदेश में खनन माफियाओं को कैसे रोकेंगे कमलनाथ तो वहीं शराब माफियाओं का गांव-गांव तक फैला मकड़जाल, शिक्षा तंत्र में बढ़ता शिक्षा माफियाओं का तांडव, जमीनों के खरीद फरोक्त करने वाले भूमाफियाओं की लूटपाट, कानून के रखवाले वर्दी की आड़ में गुण्डागर्दी करने वालों का पुलिसिया तुर्रा को कैसे कम करेंगे कमलनाथ, मध्य प्रदेश में रात के अंधेरे में तो छोड़ों दिन दहाड़े ही बेइज्ज्त होती असुरक्षित बेटियां को कैसे सुरक्षा दिला पायेंगे कमलनाथ यह बड़ी समस्यायें मुंह बायें खड़ी है इनका समाधान कैसे निकालेंगे कमलनाथ । आदिवासी बाहुल्य मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजातियों के साथ निरंतर बढ़ने वाले शोषण को कैसे रोक पायेंगे कमलनाथ क्योंकि अनुसूचित जाति जनजातियों के लिये बने थानों में ही सुनवाई नहीं होती है तो एट्रोसिटी एक्ट का पालन कैसे करवा पायेंगे कमलनाथ इस पर नजरे टिकी हुई मध्य प्रदेश में विशेष संरक्षित जनजातियों के अलग बने प्राधिकरण व जनजाति कल्याण विभाग में नीचे से लेकर ऊपर तक का भ्रष्टाचार और विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों डकैत बनकर ामालामाल होकर लाल होते जा रहे है और आदिवासियों की हालत जस की तस बनी हुई है डाका डालने वाले भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों पर कैसे नकेल कसेंगे यह बड़ा कठिन काम है इसके साथ ही बेगुनाह आदिवाासियों को जेल की सलाखों तक पहुंचाने वाले वन विभाग के अधिकारियों को कैसे रोकेंने कमलनाथ ऐसी अनेक चुनौतियां अड़ंगा लगाकर मजबूत जड़ मध्य  प्रदेश में बना चुकी है इन्हें कैसे उाखाड़कर फैकेंगे कमलनाथ ।

गले तक कर्ज में डूबा मध्य प्रदेश 

वर्ष 2016-17 में ही जहां सरकार का बजट 1 लाख 58 हजार करोड़ रुपए का था तो वहीं मध्य प्रदेश पर घोषित कर्ज ही 1 लाख 13 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा हो चुका था तो वहीं मार्च 2017 तक राज्य सरकार के ऊपर डेढ़ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज हो गया था । वित्तीय वर्ष 2017-18 में मध्य प्रदेश सरकार ने कर्ज में 18 अगस्त को 1000 करोड़, 8 सितंबर को 2000 करोड़, 22 सितंबर को 2000 करोड़, 27 अक्टूबर को 2000 करोड़, तो वहीं 19 जनवरी को 2000 करोड़ रूपये का कर्जा लिया था । जुलाई माह 2018 में ही कमलनाथ ने राज्य की गड़बड़ाती आर्थिक स्थिति को लेकर सरकार पर हमला बोला था उन्होंने कहा था कि मध्य प्रदेश पर लगभग पौने दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज है । प्रदेश में बढ़ते कर्ज को देखते हुए सरकार को नए कर्ज लेने पर अविलंब रोक लगाये जाने की बात भी कहा था ।  स्थिति दिन-प्रतिदिन भयावह होती जा रही है कहा था जब कांग्रेस की सरकार थी तो उस समय 31 मार्च, 2003 तक मध्य प्रदेश पर सिर्फ 20,147 करोड़ रुपये का कर्ज था जो कि बढ़कर वित्?त विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राज्?य सरकार पर 1,60,871.9 करोड़ का कर्ज हो गया है लेकिन यदि सूत्रों की माने तो वास्?तविकता में 1,87,636.39 करोड़ रूपये तक हो सकता है।

असुरक्षित बेटियां तो मध्य प्रदेश में बढ़ते बलात्कार

देश की शीर्ष अदालत ने भी रेप की वारदातों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश देश में नंबर वन है। वहीं कांग्रेस नेता शोभा ओझा ने भी शिवराज सरकार के साथ साथ मध्य प्रदेश में महिला सुरक्षा की बदतर स्थिति का आरोप लगाया था । इसी तरह बुधनी में अपनी पहली रैली को संबोधित करते हुए कमलनाथ ने भी कहा था कि कमलनाथ की चक्की देर से चलती है पर बहुत बारीक पीसती है । कमलनाथ ने कहा था कि शिवराज सरकार में मध्यप्रदेश बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, रेप और रेत खनन में नंबर वन बन गया है इसके साथ ही उन्होंने जनता को संबोधित करते कहा था आप पिछले 15 साल से लुटेरों और झूठों की सरकार को झेल रहे हैं,अब बदलाव की जरूरत है तो जनता ने बदलाव कर दिया है । मध्य प्रदेश में बलात्कार की वारदातों को कैसे रोकेंगे वहीं रात तो छोड़ों दिन दहाड़े मध्य प्रदेश में बेटियां असुरक्षित है उन्हें कैसे सुरक्षित रख पायेंगे और कानून की खौफ बहशी दरिदों, छेड़खानी करने वाले मजनुओं पर कैसे नकेल कसने के लिये कसावट लायेंगे ।

लुटेरो के अड्डे बने सरकारी कार्यालयों में है बेहताशा भ्रष्टाचार

मध्य प्रदेश में भले ही जीरो टालरेंस का प्रचार प्रसार किया गया है और भ्रष्टाचार को रोकने के लिये प्रयास किया गया हो परंतु सरकारी कार्यालय शायद ही ऐसा कोई होगा जहां पर भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार मचा हुआ है । शासकीय कार्यालयों में ये स्थिति है कि अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक बेखौफ होकर रिश्वत लेते है तो वहीं शासकीय योजनाओं में आने वाली धनराशि में घोटाला व भ्रष्टाचार का तांडव अधिकारियों कर्मचारियों ने मिलकर खूब धूम मचाया है । जिला पंचायत, जनपद पचांयत, ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार का खेल खूब चल रहा है । रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ाने वाले अधिकारियों कर्मचारियों ने खुद प्रमाणित किया है कि भ्रष्टाचार हो रहा है। आईएएस अफसरों के बिस्तरों के नोट मिले थे वहीं अधिकारियों कर्मचारियों की संपत्ति भी लोकायुक्त के चुंगल में आने के बाद करोड़ों की निकली है ऐसे अनेक प्रमाण है तो सिद्ध करते है कि भ्रष्टाचार किस तरह मध्य प्रदेश में हुआ है अब रिश्वत व भ्रष्टाचार का नशा व लत से विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों को कांग्रेस की सरकार कैसे छुटकारा दिला पायेगी ।

हिटलर जैसी बेलगाम अफसरशाही है हावी 

मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार में अफसरशाही हावी रही कुछेक कलेक्टर व आईएएस अफसरों को छोड़ दिया तो आम जनता व गरीबों के लिये नरम दिल लिये हुये जनता की समस्याओं का समाधान करते रहे है लेकिन अधिकांश आईएएस अफसरों का रौब ही देखते बनता है आम जनता तो छोड़ो नेता हो या कानून का ज्ञाता हो पत्रकार हो सबको धुतकारने का दम अफसर रखते थे और उनकी आदत बन चुकी है लताड़ने-धुतकारने की उन आदतो को कैसे सुधारेंगे यह बड़ा सवाल बना हुआ है । सम्माननीय राधेश्याम जुलानिया की ही बात करें तो जल संसाधन विभाग, पंचायत, स्वास्थ्य विभाग जहां पर भी रहे ऐसे नियम बनाये कि पंचायतों में भाजपा की लुटिया डुबाने में कोई कसर नहीं छोड़ा है इसके साथ ही आम जनता से लेकर विभागीय अधिकारी कर्मचारी पर हिटलर की नीति चलाकर अपनी अफसराई दिखाने कमी नहीं किया है पर मजाल है कि कोई उन्हें भाजपा की राज में उन्हें कोई हटा नहीं पाया । सम्माननीय राधेश्याम जुलानिया जैसे अन्य आईएएएस अफसर है जो दबंगता के साथ सेवा कर मेवा खा रहे है । ऐसे अफसरों पर नकेल कसने की सख्त आवश्यकता है ।

सत्ता के संरक्षण में खनन, शराब, शिक्षा माफियाओं की बोल रही तूती

मध्य प्रदेश में सत्ता शासन प्रशासन के संरक्षण में खनन माफियाओं से उत्खनन का ही खेल नहीं इन्हें रोकने वालों के साथ खूनी खेल भी खेलकर मौत के घाट तक उतार दिया है तो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ खबरनबीसों को जिंदा तक जलाने से लेकर मारने ठोंकने का काम किया है । मां नर्मदा नदी को छलनी का आरोप तो स्वयं कमलनाथ से लेकर कांग्रेस का सभी छोटे बड़े नेताओं ने मुख्यमंत्री शिवराज से लेकर भाजपाईयों पर खूब दिल खोलकर लगाया है । इसके साथ रेत, मुरम, गिट्टी का धंधा व्यापार करने वाले खनन कारोबारों के द्वारा प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर छलनी कर खोदने में कोई कसर नहीं छोड़ा है पूरे 15 साल कांग्रेस ने चीखचीखकर भाजपा सरकार पर आरोप मढ़ा है । इसके साथ ही शराब माफियाओं पर स्वयं कमलनाथ ने भी भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुये घेरने का काम किया है । मध्य प्रदेश में आबकारी विभाग व पुलिस विभाग के संरक्षण व सहयोग से शराब माफियाओं का मकड़जाल शहर-शहर, गली-गली, गांव-गांव, हॉटल-पान ठेले-ढाबों में बेखौफ होकर फैला हुआ है । शराब माफियाओं का विरोध करते हुये इन्हें रोकने वाले तो अपनी जान की सुरक्षा को लेकर भयभीत रहता है शराब माफियाओं के साथ गुण्डों की फौज सुरक्षा के लिये तैनात रहते है जो विरोध करने वालों को चुपचाप रहने के लिये काम करते है । शराब माफियाओं के तांडव को कमलनाथ व कांग्रेस की सरकार कैसे रोकेंगे यह भी अपने आप में प्रश्न बना हुआ है । मध्य प्रदेश में निजी शिक्षण संस्थाओं की लूटपाट इस कदर मची हुई है गरीब, निर्धन तो छोड़ो तो मध्यम वर्गीय परिवार भी कर्ज लेकर शिक्षा अपने बच्चों को दिला पा रही है महंगी फीस के साथ स्कूल की कापी,किताब, जूते-मौजे, यूनिफार्म सहित अन्य कार्यक्रमों के लिये साल वर्ष रूपया पैसा ही खर्च करते रहता है कुल मिलाकर शैक्षणिक संस्थानों में भी शिक्षा माफियाओं का राजपाठ कायम है ।

पुलिसिया तुर्रा के साथ वर्दी की आड़ में हमदर्दी नहीं गुण्डागर्दी का खौफ

पुलिस प्रशासन के कर्मचारी व अधिकारी जनता की सुरक्षा के लिये 24 घंटे काम करते है इनकी पीढ़ा जायज भी है और कमलनाथ ने पुलिस की नौकरी के लिये समय करने का वचन पुलिस विभाग को दिया है परंतु हम यहां यह भी बता दे कि मध्य प्रदेश में कानून का राज इस तरह चल रहा है कि हालांकि सभी पुलिस थानों में ऐसी स्थिति नहीं है और सभी वर्दीधारी भी ऐसे नहीं है जो पीड़ित व प्रताड़िता को पुलिस थानों में प्रताड़ित करते है परंतु अधिकांश ऐसे है जिन्हें वर्दी भले ही हमदर्दी के लिये मिली है परंतु वर्दी की गर्मी इतनी बढ़ गई कि पुलिस थानो में जाने वाले पीड़ितों के साथ दुव्यवहार तो किया ही जाता है साथ में सुनवाई भी नहीं हो पाती है ओरापी का स्वागत सत्कार किया जाता है और उन्हें बचाने की कोशिश की जाती है । थानो में रिपोर्ट लिखने में आनाकानी की जाती है पुलिसिया तुर्रा कहों या पुलिस प्रशासन का ही खौफ इतना ज्यादा रहता है आम आदमियों को कि वे थानों में ही जाने में कांपते है डरे सहमे से यदि जाते भी है तो उनकी शिकायत रिपोर्ट लिखने में आना कानी की जाती है ।

एससीएसटी थानों में नहीं दर्ज होती रिपोर्ट तो भ्रष्टाचार में डूबा जनजाति कल्याण विभाग 

मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के कल्याण विकास के लिये अलग जनजाति कल्याण विभाग बनाया गया है । विशेषकर जनजातियों के लिये केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार के साथ साथ अलग जनजाति कल्याण मंत्रालय केंद्र व राज्य में बना हुआ । करोड़ों अरबों रूपये का बजट प्रत्येक जिलों में मध्य प्रदेश में दिया जाता है लेकिन जनजाति कल्याण विभाग भ्रष्टाचार के आंकठ में डूबा हुआ है ग्रामीण अंचलों से आने वाले आदिवासियों को कार्यालय में घुसने तक नहीं दिया जाता है नेताओं, ठेकेदारों की जमघट से सुबह से लेकर रात तक विभागों में इन्हीं ठिकाना बना रहता है । बीते 15 वर्षों का यदि कांग्रेस सरकार भौतिक सत्यापन करवा ले तो जो भ्रष्टाचार का रिकार्ड सामने आयेगा उसे पढ़ व सुनकर सहम जायेंगे इतना भंयकर घोटाला व भ्रष्टाचार जनजाति कल्याण विभाग मे हो रहा है । सरकारी धनराशि की खुली डकैती यहां पर हो रही है कोई रोकने टोकने वाला नहीं है सब मिल बांट कर खा रहे है और आदिवासियों के हिस्से में कुछ भी नहीं आ रहा है सिर्फ नाम पर उनका हो रहा है । इसी तरह हम बात करें अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण थाने की तो वहां पर पीड़ितों की रिपोर्ट नहीं लिखी जाती है उन्हें क्षेत्रिय थानों में वापस भेज दिया जाता है । अजाक थाना में डीएसपी से लेकर स्टाफ की कमी रहती है महिनों विवेचना व जांच में लग जाते है वहीं से आरोपियों को जमानत मिल जाती है । ऐसे अनेक विभाग है जहां पर सीधे एससी व एसटी का संपर्क व संबंध होता है उन विभागो में बैठे अधिकारी व कर्मचारी का बर्ताव और व्यवहार इस तरह होता है कि एससी एसटी वर्ग का नागरिक विभाग के कारण सीधे सरकार को कोसने लगता है यही भाजपा की सरकार के साथ हुआ जिस पर लगाम लगाने में भाजपा की सरकार नाकामयाब रही है अब देखना है कि कांग्रेस की सरकार एससी एसटी को उनके बजट व हक अधिकार को कहां तक दिला पाती है ।

कैसे होगी किसान की कर्जमाफी तो कैसे मिलेगी मजदूरों को मजदूरी 

जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश के 41 लाख किसानों ने 56,377 करोड़ रुपये लोन लिया हुआ है वहीं 21 लाख ऐसे किसान हैं जिन्?होंने 14,300 करोड़ रुपये का कर्ज लिया और अदा नहीं किया है। यह कर्ज अब एनपीए बन चुका है। इसमें वे किसान भी शामिल हैं जिन्होंने 2 लाख रुपये से ज्?यादा का लोन ले रखा है अब राहूल गांधी ने तो कर्ज माफी किये जाने की घोषणा कर दिया है उसे कैसे माफ करेंगे यह कवायद में कांग्रेस की सरकार शपथ लेने के पहले ही लग गई है परंतु इसके साथ जो जमीनी समस्या किसानों के साथ बनी हुई है उसकी बात करें तो किसान को उसके अनाज की वाजिब कीमत तो कोई भी सरकार नहीं दिला पा रही है परंतु सरकारी समर्थन मूल्य भी समय पर नहीं मिल पाता है । मध्य प्रदेश में किसान ने मेहनत कर अनाज तो उगाता ही है लेकिन जितनी मेहनत उसे अनाज उत्पादन करने में लगती है उससे कहीं जयादा मशक्कत अपने अनाज की कीमत पाने के लिये करना पड़ता है । मण्डी व खरीदी केेंद्रों में अनाज लाकर उसकी सुरक्षा तक एक सप्ताह से भी अधिक दिनों तक करना पड़ता है इसके साथ ही पंचायतों में मेहनत मजदूरी करने के बाद मजदूरों को अपनी मजूदरी पाने के लिये कलेक्टर, जिला व जनपद पचांयत के चक्कर लगाना पड़ता है ।






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1 Comments
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  1. बहुत शानदार स्थिति को बयां किया है आपने मध्यप्रदेश में कमलनाथ जी के नेतृत्व में बनने जा रही कांग्रेस सरकार के लिए...........

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